तू कहीं का कलेक्टर है क्या... दिल को लगी ठेकेदार की बात तो पास कर दिखाई UPSC, मिलिए अफसर बाबू हेमंत से

नई दिल्ली: राजस्थान के हनुमानगढ़ में एक छोटा सा गांव है बिराण। इसी गांव की रहने वाली एक महिला मनरेगा मजदूर के तौर पर काम करती थी। एक दिन ठेकेदार ने उसे दिन की दिहाड़ी के 220 रुपए देने से इनकार कर दिया। बात महिला के बेटे को पता चली, तो उसने सरकार

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नई दिल्ली: राजस्थान के हनुमानगढ़ में एक छोटा सा गांव है बिराण। इसी गांव की रहने वाली एक महिला मनरेगा मजदूर के तौर पर काम करती थी। एक दिन ठेकेदार ने उसे दिन की दिहाड़ी के 220 रुपए देने से इनकार कर दिया। बात महिला के बेटे को पता चली, तो उसने सरकारी दफ्तर में शिकायत कर दी, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। वो अधिकारियों के चक्कर काटता रहा, चप्पलें घिसता रहा... लेकिन हर जगह से उसे मायूसी ही मिली। हारकर वो फिर से उसी ठेकेदार के पास पहुंचा और दिहाड़ी के रुपए मांगे। ठेकेदार बिगड़ गया, बोला- तू कहीं का कलेक्टर है क्या? लड़के ने पलटकर कोई जवाब नहीं दिया और उदास मन से वापस लौट आया।
उसे नहीं मालूम था कि कलेक्टर क्या होता है? हां, इतना समझ में आ गया था कि कलेक्टर ही वो शख्स है, जो उसकी मां और उन जैसे दूसरे मजदूरों को उनका हक दिला सकता है। शुरू में उसे लगा कि शायद ठेकेदार ने बस कंडक्टर को कलेक्टर कहा है, लेकिन जल्द ही उसे कलेक्टर के सही मायने पता चल गए। बस उसने मन ही मन तय कर लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए, वो कलेक्टर बनकर ही मानेगा। और उसी दिन से, उसने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। वक्त बीता और 16 अप्रैल 2024 को जब यूपीएससी 2023 का रिजल्ट जारी हुआ, तो इसी लड़के ने परीक्षा में 884वीं रैंक हासिल कर दिया। इस लड़के का नाम है हेमंत पारीक।

यूपीएससी की बात पर दोस्तों ने उड़ाया मजाक

हेमंत पारीक की ये सफलता इसलिए भी एक बड़ी मिसाल है, क्योंकि यूपीएसी की तैयारी में उनके सामने चुनौतियों का एक पूरा पहाड़ खड़ा था। हेमंत का एक हाथ काम नहीं करता। उनकी मां जहां मनरेगा में मजदूरी करती थीं, तो वहीं पिता गांव के ही एक छोटे से मंदिर में पुजारी थे। हेमंत ने जब अपने दोस्तों से कहा कि वो यूपीएससी की तैयारी करेंगे, तो उनका मजाक बनाया गया। इस परीक्षा की तैयारी में उनके सामने सबसे बड़ी बाधा उनकी पारिवारिक आर्थिक स्थिति ही थी। लेकिन, हेमंत ने अपने जीवन की किसी भी चुनौती के सामने हार नहीं मानी। उनका लक्ष्य तय था और उन्होंने उसी दिशा में अपनी तैयारी शुरू कर दी।

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लाइब्रेरी में आधी रात तक करते थे पढ़ाई

यूपीएससी के अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए हेमंत के पास बेहद सीमित संसाधन थे। उन्होंने इन्हीं संसाधनों के बीच से अपनी तैयारी का रास्ता निकाला। आर्थिक समस्याओं की वजह से वो कोचिंग नहीं कर सकते थे, ऐसे में उन्होंने सेल्फ स्टडी पर जोर दिया।। वो अपने कॉलेज की लाइब्रेरी में हर दिन आधी-आधी रात तक पढ़ाई करते। उनका सबसे ज्यादा फोकस राजनीति और इतिहास जैसे विषयों पर था। हालांकि, गांव में रहकर उनकी पूरी तैयारी नहीं हो सकती थी। ऐसे में उनके समाज के लोगों ने उनकी आर्थिक मदद की और वे दिल्ली के पटेल नगर में आकर पढ़ाई करने लगे।

ऑनलाइन पढ़ाई कर तैयार किए नोट्स

यहीं आकर उन्हें यूट्यूब पर ऑनलाइन क्लासेस के बारे में पता चला और उन्होंने अपनी तैयारी तेज कर दी। ऑनलाइन क्लासेस से हेमंत को नोट्स तैयार करने में मदद मिली। उन्होंने यहां दो साल तक जमकर तैयारी की। जब खुद पर उन्हें भरोसा हो गया, तो उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी। रिजल्ट आया तो हेमंत का नाम प्री परीक्षा पास करने वाले सफल उम्मीदवारों की लिस्ट में था। अब वो मेंस की तैयारी में जुट गए और रिजल्ट इस बार भी लिस्ट में उनका नाम साथ लेकर आया। हालांकि शुरुआत में वो अपने रिजल्ट को लेकर थोड़ा डरे हुए थे, लेकिन जब उनका नाम लिस्ट में आया तो उनके मन का डर निकल गया।

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इंटरव्यू को लेकर डरे हुए थे हेमंत

अब बारी थी इंटरव्यू के दौर की। यहां भी हेमंत को डर था कि उनकी पढ़ाई मामूली परिवेश में हुई और इसका असर उनके इंटरव्यू पर पड़ सकता है। हेमंत ने पूरी तैयारी के साथ इंटरव्यू दिया और रिजल्ट का इंतजार किया। उन्हें खुद पर भरोसा था, लेकिन साथ ही मन में एक डर भी था। ये उनकी पहली कोशिश थी और इसलिए उन्हें खुद से बहुत ज्यादा उम्मीदें थीं। इसके बाद 16 अप्रैल का वो दिन आया, जब यूपीएससी का रिजल्ट घोषित हुआ। मेरिट लिस्ट में हेमंत का नाम था। उन्होंने 884 वीं रैंक हासिल की। यूपीएससी की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को हेमंत सलाह देते हैं कि खुद पर भरोसा रखें और आगे बढ़ते रहें, सफलता जरूर मिलेगी।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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